बैतूलवाणी के रूबरू कार्यक्रम में एसपी से चर्चा
Discussion: बैतूल। अपराधी कितना भी शातिर क्यों ना हो गुनाह करते वक्त वह कोई ना कोई भूल जरूर करता है जिसकी तलाश करते हुए पुलिस उसे सलाखों के पीछे पहुंचाती है जहां उसकी असली जगह है। पुलिस अधीक्षक निश्चल एन झारिया से बैतूलवाणी चैनल के रू-ब-रू कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार संजय शुक्ला ने चर्चा की। प्रस्तुत है दी गई प्रतिक्रिया के प्रमुख संपादिक अंश-
बैतूलवाणी:- पुलिस विवेचना में आधुनिक तकनीकी का कैसे उपयोग करते हैं?
एसपी:- जैसा की हम सभी जानते हैं कि तकनीकी में लगातार अप्रत्याशित तरीके से तरक्की हो रही है। 6-6 महीने में अलग-अलग तकनीकों का विकास हो रहा है। अपराधी बहुत तेजी से अपराध करने में तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। हमारा मध्यप्रदेश हिन्दुस्तान में चौथा ऐसा प्रदेश है जहां सायबर थाने की स्थापना 2013 में हुई थी। मध्यप्रदेश पुलिस लगातार अपने इंवेस्टिगेशन में सायबर संबंधी प्रयोग करती रही है और हमारे अधिकारियों को बहुत शानदार ट्रेनिंग जो राष्ट्रीय स्तर की दी जाती रही है। लगातार कोर्सेस हो रहे हैं। विगत दिनों देखा गया है कि अपराधियों के द्वारा तकनीक का जो इस्तेमाल किया जाता है तो उनको पकडऩे के लिए भी अपनी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। हमारे पास साफ्टेवयर सहित ट्रेंड स्टाफ भी है।
बैतूलवाणी:- ब्लाइंड मर्डर ट्रेस करने में क्या समस्या आती है?
एसपी:- ब्लाइंड मर्डर अलग-अलग प्रकार के हो सकते हैं। हमारा जनजातीय जिला है। यहां कई बार ऐसे भी ब्लाइंड मर्डर होते हैं जिसमें तकनीक का कोई इस्तेमाल नहीं होता। जंगलों या ऐसे स्थानों पर होते हैं तो ऐसे मामलों में हमारा स्टाफ अनुभव का उपयोग करता है और उसमें सफलता भी मिलती है।
बैतूलवाणी:- पुलिसिंग के साथ सामाजिक कार्यों में हिस्सा कैसे लेते हैं?
एसपी:- डीजीपी कैलाश मकवाना सर के निर्देश पर नशे से दूरी है जरूरी अभियान चलाया गया था। इसके साथ स्कूलों, कालेजों में भी जागरूक किया गया है। इसी मुहिम सभी थानों में कर्मचारियों अधिकारियों ने इसमें हिस्सा लिया है ताकि समाज को नशे से दूर रखा जा सके।
बैतूलवाणी:- स्टाफ की कमी से कौन-कौन सी दिक्कतें होती हैं?
एसपी:- चुनौतियां जीवन का अंग हैं। प्रत्येक चुनौती को देखा जाए तो कोई ना कोई रास्ता भी निकलता है। यह कहना सही है कि हमारे पास बल की कमी है। ऐसी स्थिति प्रदेश में हर जगह है। लेकिन हम बेहतर तकनीक और जो हमारा मानवीय बल है उसको बेहतर तरीके से नियोजित करके हमें कार्य लेना है ऐसा करके इस कमी की पूर्ति करते हैं। हम सारे कस्बों के प्रवेश और निर्गम मार्गों पर कैमरे लगाने जा रहे हैं। और इसके लिए जनप्रतिनिधियों ने हमें राशि देने का कहा है। त्यौहारों में भी हम ड्रोन से सर्चिंग करते हैं।
बैतूलवाणी:- पुलिस से हमेशा लोगों को शिकायत रहती है कि वह कार्यवाही नहीं कर रही है। यह भ्रम कैसे दूर होंगे?
एसपी:- हमने यहां पूरी मेहनत से जनमानस को विश्वास दिलाने का प्रयास किया है कि आप हमारे पास कोई भी कम्पलेंट लाते, अपराध की जानकारी देते हैं उसका निराकरण करेंगे। और अधिकतर मौके पर हमने किया है।
बैतूलवाणी:- जिले में बढ़ती जनसंख्या के हिसाब से आपने नए थानों का प्रस्ताव भेजा है क्या?
एसपी- जी-हां बिल्कुल है, जनसंख्या के आधार पर हमने शासन को कुछ थाने और नई चौकी के प्रस्ताव भेजे हैं।
बैतूलवाणी:- आप लंबे समय तक नक्सली क्षेत्र में रहे वहां की चुनौतियां क्या रही।?
एसपी:- नक्सली क्षेत्र में पुलिसिंग बिल्कुल अलग प्रकार की होती है जैसे की मैं नक्सल के अलावा एंटी डकैती क्षेत्र हैं वहां भी काम किया है। नक्सली क्षेत्र में अलर्ट रहकर स्वयं और स्टाफ की सुरक्षा करनी होती है। पब्लिक को पुलिस सेवा देनी पड़ती है।
बैतूलवाणी:-आप गांव से आते हैं, आपने शिक्षा और यहां तक पहुंचने में कौन-कौन सी चुनौतियों का सामना किया। यह युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन सकता है।?
एसपी:- मैं तो इस बारे में माता-पिता का ऋणी हूं। जिन्होंने छोटी सी जगह से स्टार्ट लेने के बाद भी उन्होंने ऐसे संसाधन उपलब्ध कराए और ऐसी शिक्षा-दीक्षा देने का प्रयास किया कि समाज में फैल रहे अवगुण से दूर रह सकंू। उन्होंने आगे बढऩे की जो प्रेरणा दी है उस पर लगातार चलते हुए कम उम्र में ही मेरा पीएससी में सलेक्शन हो गया था और उसके बाद से लगातार यह 31 वां वर्ष है। मैरिज लिस्ट के आधार पर मेरा चयन हुआ था। मैं ईश्वर का भी शुक्रगुजार हूं।
बैतूलवाणी:- आप पुलिस की ही नौकरी करना चाहते थे या फिर किसी दूसरे विभाग में? अगर पुलिस में तो क्यों?
एसपी- युवाओं को जो पुलिस में जाना चाहते हैं उन्हें यही संदेश है कि परिश्रम, मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। अनुशासन, नशे से दूर रहते हुए अनुशासित जीवन हर स्थिति में व्यतीत करना चाहिए।
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