Equation: पटना। सोन नदी के पूरबी तट पर बसा बिक्रम (Bikram) विधानसभा क्षेत्र जितना खेती-बाड़ी के लिहाज से चुनौतीपूर्ण है, उतना ही यहां की राजनीति को समझना भी मुश्किल माना जाता है। वजह है – यहां के नेताओं का लगातार पाला बदलना।
तीन बार विधायक रह चुके अनिल कुमार अब कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। वहीं मौजूदा विधायक सिद्धार्थ सौरव भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने की तैयारी में हैं। इससे क्षेत्र की राजनीति में नई हलचल मच गई है।
🗳️ बिक्रम की ऐतिहासिक राजनीति
- 1952, 1957, 1962: कांग्रेस प्रत्याशी मनोरमा देवी ने लगातार जीत दर्ज की।
- 1967: कांग्रेस के महावीर गोप विधायक बने।
- 1969 और 1972: भारतीय क्रांति दल के खदेरन सिंह विजयी।
- 1977: जनता पार्टी के कैलाशपति मिश्र (बाद में बिहार के वित्त मंत्री बने) ने जीत हासिल की।
- 1980–1995: भाकपा के रामनाथ यादव ने लगातार चार बार जीतकर कांग्रेस और अन्य दलों को चुनौती दी।
🏛️ भाजपा और निर्दलीय की एंट्री
- 2000: पहली बार भाजपा के रामजनम शर्मा ने जीत दर्ज कर इतिहास बनाया।
- 2010: भाजपा से अनिल कुमार विधायक बने।
- 2020: अनिल कुमार ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की।
📌 वर्तमान राजनीति
- अनिल कुमार – कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं।
- सिद्धार्थ सौरव – कांग्रेस से दो बार जीत चुके, लेकिन अब भाजपा में जाने की तैयारी में हैं।
🏗️ बिक्रम क्षेत्र में विकास कार्य
विधायक सिद्धार्थ सौरव का दावा है कि—
बिक्रम के दतियाना में सीएचसी (Community Health Centre) का निर्माण हुआ।
सभी गांवों को मुख्य सड़कों से जोड़ा गया।
25 वर्षों से लंबित ट्रामा सेंटर का निर्माण कार्य शुरू हुआ (लागत 9 करोड़)।
नौबतपुर में जाम से मुक्ति दिलाने के लिए फ्लाईओवर का शिलान्यास हुआ।
साभार…
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