Gas tragedy: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 1984 की यूनियन कार्बाइड गैस त्रासदी के लिए कांग्रेस सरकार को दोषी ठहराया है। उन्होंने कांग्रेस पर जहरीले रासायनिक कचरे के निपटान में कोई कदम न उठाने का आरोप लगाया। वहीं, कांग्रेस ने पलटवार करते हुए भाजपा सरकार पर बीते दो दशकों में इस मुद्दे पर निष्क्रियता का आरोप लगाया।
मुख्यमंत्री मोहन यादव के आरोप:
- गैस त्रासदी के लिए कांग्रेस जिम्मेदार:
- मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार की लापरवाही के कारण भोपाल गैस त्रासदी हुई।
- त्रासदी को “मौत की फैक्टरी” बताते हुए उन्होंने कहा कि लाखों लोगों की जान जाने के बावजूद कांग्रेस ने फैक्टरी को चलने दिया।
- रासायनिक कचरे के निपटान पर भाजपा सरकार का रुख:
- मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन कर कचरे का सुरक्षित निपटान सुनिश्चित करेगी।
- मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने हाल ही में जहरीले कचरे को निपटान स्थल तक पहुंचाने के लिए चार सप्ताह की समय सीमा तय की थी।
धार जिले में विरोध:
- पीथमपुर में जहरीले कचरे को नष्ट करने का स्थानीय स्तर पर विरोध जारी है।
- विरोधकर्ताओं का कहना है कि यह कचरा क्षेत्र के पर्यावरण और निवासियों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
कांग्रेस का पलटवार:
- भाजपा सरकार की निष्क्रियता:
- कांग्रेस नेता और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा पिछले दो दशकों से राज्य में सत्ता में रही है।
- उन्होंने सवाल उठाया कि भाजपा ने इतने लंबे समय तक यूनियन कार्बाइड फैक्टरी की सफाई क्यों नहीं की।
- शिवराज सरकार पर टिप्पणी:
- सिंघार ने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चार कार्यकालों को नजरअंदाज कर रहे हैं।
- उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि “मौन बाबू” को अपनी ही पार्टी की पिछली सरकारों का हिसाब देना चाहिए।
भोपाल गैस त्रासदी:
- घटना का समय: 2-3 दिसंबर 1984 की रात।
- क्या हुआ: यूनियन कार्बाइड फैक्टरी से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव।
- परिणाम:
- 5,479 लोगों की मौत।
- हजारों लोग गंभीर रूप से घायल।
- कई पीड़ित आज भी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं।
भोपाल गैस त्रासदी पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप ने एक बार फिर इस दर्दनाक घटना को चर्चा के केंद्र में ला दिया है। जहरीले कचरे के निपटान और प्रभावितों के पुनर्वास को लेकर दोनों दलों की जिम्मेदारियों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पीथमपुर में चल रहे विरोध और न्यायालय के निर्देशों के बीच देखना होगा कि सरकार इस समस्या का समाधान कैसे करती है।
source internet… साभार….
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