अदालत के आदेश की अवमानना कर किया जा रहा निर्माण
कंपनी के निदेशक ने एसपी, थाना प्रभारी से की शिकायत
Illegal possession: बैतूल। नगर के जयप्रकाश वार्ड में स्थित सापना वेयरहाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड की जमीन पर जबरन निर्माण का मामला सामने आया है। कंपनी के निदेशक हरिओम अग्रवाल ने पुलिस अधीक्षक और थाना प्रभारी से शिकायत कर आरोप लगाया है कि अनावेदक योगेन्द्र कापसे और भारती कापसे ने न्यायालय के निषेधाज्ञा आदेश के बावजूद जबरन निर्माण कार्य शुरू कर दिया है।
1636 वर्ग फुट में किया अवैध कब्जा
शिकायत के अनुसार, विवादित भूखंड नजूल शीट नंबर 44 के प्लॉट नंबर 13 का क्षेत्रफल 45,655 वर्गफुट है, जो बैतूल के सदर क्षेत्र के जयप्रकाश वार्ड में स्थित है। इस भूमि का 1636 वर्गफुट का हिस्सा पहले ही अतिक्रमण की चपेट में आ चुका है। वर्ष 2020 में जब इस पर कब्जे की कोशिश हुई, तब न्यायालय में मामला दर्ज किया गया था। व्यवहार न्यायालय ने 22 दिसंबर 2020 को आदेश पारित कर अनावेदकगण को किसी भी तरह का निर्माण कार्य करने से रोक दिया था।
न्यायालय के आदेश की हो रही अनदेखी
शिकायत में कहा गया है कि न्यायालय द्वारा स्पष्ट आदेश पारित होने के बावजूद पिछले चार-पांच दिनों से अनावेदकगण जबरन निर्माण कर रहे हैं। आवेदक ने उन्हें रोका तो भी उन्होंने निर्माण जारी रखा। 10 फरवरी 2025 को अनावेदकगण ने निर्माण सामग्री मौके पर लाकर रख दी और 25 फरवरी 2025 को लोहे के कॉलम डालकर सीमेंट-कंक्रीट का मसाला भरना शुरू कर दिया।
6 माह की सजा का है प्रावधान
आवेदक हरिओम अग्रवाल ने 11 फरवरी 2025 को अपने अधिवक्ता के माध्यम से अनावेदकगण को नोटिस भी भेजा था, जिसमें न्यायालय के आदेश का पालन करने को कहा गया था। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया था कि अगर वे आदेश का उल्लंघन करते हैं तो उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही की जाएगी, जिसमें छह माह तक की सजा का प्रावधान है।
कोर्ट में अवमानना याचिका दायर
न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया है कि अनावेदकगण द्वारा किया जा रहा निर्माण न्यायालय के आदेश की अवमानना है। इसलिए उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, उन्हें सिविल जेल भेजने का आदेश पारित किया जाए और उनकी संपत्ति कुर्क व नीलाम करने के निर्देश दिए जाएं। साथ ही वाद व्यय भी आवेदक को दिलाया जाए। न्यायालय ने पहले ही इस मामले में निर्णय देते हुए आदेश दिया था कि प्रतिवादीगण वादोक्त भूखंड पर कोई नया निर्माण कार्य नहीं करेंगे। यह आदेश वाद के अंतिम निराकरण तक प्रभावी रहेगा। अब आवेदक ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि अनावेदकगण को उनके आदेश का उल्लंघन करने के लिए दंडित किया जाए।
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