Pradosh Vrat – भगवान भोलेनाथ की आराधना के लिए हर महीने में दो बार प्रदोष व्रत आता है। जून के महीने में कब और कौन से दिन आएगा प्रदोष व्रत, पता करने के लिए जरूर पढ़ें
भगवान भोलेशंकर की कृपा जिस मनुष्य पर होती है उसका जीवन पलभर में ही बदल जाता है। भोलेनाथ बहुत ही भोले देव माने गए हैं। वह अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। अगर कोई मनुष्य प्रदोष काल में शिव की पूजा करता है तो उसके सभी कष्ट पल भर में ही कट जाते हैं l
और सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वरदान मिलता है। प्रदोष काल भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। महीने में दो बार प्रदोष व्रत आता है। एक तो पहला कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन और दूसरा व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन पड़ता है। अब अगला प्रदोष व्रत जून महीने में पड़ेगा। जानिए जून में कौन – कौन सी तारीख को होंगे प्रदोष व्रत और कैसे करें महादेव की पूजा।
आज होगा प्रदोष व्रत | Pradosh Vrat
जून महीने में पहला प्रदोष व्रत आज 1 तारीख, गुरुवार यानी कि ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष में रखा जाएगा। गुरुवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत गुरु प्रदोष व्रत कहलाता है। इस दिन पड़ने वाले व्रत को करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद मिलता है।
इससे हर काम सफल होते हैं। जून महीने में दूसरा प्रदोष व्रत 15 तारीख को पड़ेगा। ये व्रत भी गुरुवार के दिन यानी कि आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ रहा है। जून महीने के दोनों प्रदोष व्रत गुरुवार के दिन ही है। मान्यता है कि गुरुवार को अगर विधि विधान से श्रीहरि की पूजा की जाए तो शिव के साथ ही उनकी कृपा भी बरसने लगती है।
क्या है प्रदोष व्रत और पूजा का शुभ महूर्त
आज 1 जून 2023 को प्रदोष व्रत और पूजा का मुहूर्त शाम 7 बजकर 14 मिनट से रात 9 बजकर 16 मिनट तक। पूजा का महूर्त 2 घंटे 2 मिनट तक रहेगा।
त्रयोदशी तिथि आज 1 जून को दोपहर 1 बजकर 39 मिनट से शुरू होगी और 2 जून को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगी।
15 जून 2023 को पड़ने वाला प्रदोष व्रत और प्रदोष पूजा का मुहूर्त शाम 7 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर रात 9 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। पूजा का महूर्त 2 घंटे 1 मिनट तक रहेगा। त्रयोदशी तिथि यानि की 15 जून को सुबह 8 बजकर 32 मिनट से शुरू होगी और 16 जून को सुबह 8 बजे तक 39 मिनट तक रहेगी।
कैसे करे प्रदोष व्रत की पूजा विधि – Pradosh Vrat
प्रदोष व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके स्वच्छ हो जाएं फिर व्रत करने का संकल्प लें। पूरे दिन मन में भगवान शिव का जाप करें। प्रदोष व्रत वाले दिन शाम के समय दोबारा स्नान करें और फिर प्रदोष काल में भगवान भोलेनलाथ की पूजा शुरू करें।
भोलेनाथ को पंचामृत और जल से स्नान कराएं और फिर धूप – दीप जलाकर पूजा शुरू करें। इस दौरान प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें। पूजा में भोलेनाथ को उनकी प्रिय बेलपत्र, धतूरा, भांग, रुद्राक्ष, गंगाजल और भांग चढ़ाएं। इससे महादेव प्रसन्न होते हैं। व्रती को इस दौरान पंचधारी मंत्र का जाप करना चाहिए।
क्या है गुरु प्रदोष व्रत के महाउपाय | Pradosh Vrat
पीतल के एक लोटे में जल लेकर उसमें हल्दी, गुड़ और चने की दाल मिलाएं और यह जल केले के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं।
शिव जी के मंदिर में जाकर वहां के ब्राम्हण को पूजा की किताब, पीली मिठाई, पीले फल दान में दें, ये उपाय करने से महादेव का आशीर्वाद बरसने लगेगा।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रदोष व्रत वाले दिन शिव मंदिर में सूखा नारियल चढ़ाएं।
भोलेनाथ से मनचाहा वरदान चाहिए तो प्रदोष पूजा में दौरान सफेद चंदन, आक के फूल, बेलपत्र, रुद्राक्ष, भांग, धतूरा, शमीपत्र चढ़ाएं।
Source – Internet
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