Solar Plant: मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा सौर खेती प्लांट है। इसकी खासियत है कि सोलर प्लांट लगाने के बाद भी इस जमीन का उपयोग खेती के लिए किया जा सकता है। अभी यहां पूरे 15 एकड़ में स्ट्रॉबेरी, हरा गोभी, शिमला मिर्च, गेहूं की खेती की जा रही है। अब अगले एक सप्ताह में प्लांट चालू होते ही ये रोज 20 हजार यूनिट बिजली का उत्पादन भी करेगा। बिजली उत्पादन शुरू होने के बाद भी वहां खेती पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सागर जिले के कनेरादेव के जंगल में, शहर से 5 किमी दूर।
विशेषताएँ:
- डुअल-यूज टेक्नोलॉजी:
- सोलर पैनल की स्थापना के बावजूद भूमि का उपयोग खेती के लिए जारी रहेगा।
- सोलर प्लांट और खेती एक साथ काम कर सकते हैं।
- खेती और फसलें:
- 15 एकड़ जमीन पर स्ट्रॉबेरी, हरा गोभी, शिमला मिर्च और गेहूं की खेती की जा रही है।
- खेती पर सोलर पैनलों का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं।
- ऊर्जा उत्पादन:
- प्लांट चालू होने पर प्रतिदिन 20,000 यूनिट बिजली का उत्पादन होगा।
- यह कृषि और ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है।
लागत और निर्माण:
- कुल लागत: 17 करोड़ रुपये।
- निर्माता: खरे एनर्जी।
- प्रमोटर मनीष खरे के अनुसार, यह प्लांट टीकमगढ़ के खरगापुर में उनके 8 एकड़ के एग्री-वोल्टाइक प्लांट के बाद सबसे बड़ा है।
महत्त्व:
- स्थिरता और संसाधन उपयोग:
- सीमित संसाधनों का बेहतर उपयोग।
- कृषि और ऊर्जा क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा।
- उद्योग और नवाचार:
- सौर ऊर्जा उत्पादन में नई तकनीकों का उपयोग।
- पर्यावरण और किसानों के लिए लाभकारी।
यह एग्री-वोल्टाइक सोलर प्लांट प्रदेश और देश में स्थायी विकास और ऊर्जा-सक्षम खेती के लिए एक प्रेरणा है।
source internet… साभार….
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