Statement: नागपुर | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार को स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को लेकर महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि भारत को मिली आजादी किसी एक व्यक्ति का परिणाम नहीं, बल्कि यह 1857 से शुरू हुए सामूहिक प्रयासों का फल है। उन्होंने यह बात नागपुर में संघ के एक कार्यक्रम के दौरान कही।
भागवत ने कहा, “हमेशा इस बात पर बहस होती रही है कि देश को आजादी किसकी वजह से मिली। लेकिन सच्चाई यह है कि आजादी किसी एक व्यक्ति की देन नहीं थी। यह स्वतंत्रता 1857 के विद्रोह से शुरू हुई और तब से यह आंदोलन विभिन्न रूपों में चलता रहा। हर क्षेत्र, हर व्यक्ति और हर वर्ग का योगदान इसमें रहा। सभी के मिलेजुले प्रयासों से देश को 1947 में स्वतंत्रता मिली।”
संघ में भी सामूहिक निर्णय की परंपरा
संघ प्रमुख ने आरएसएस के कार्यप्रणाली को लेकर कहा कि संघ का काम भी किसी एक व्यक्ति की सोच नहीं, बल्कि सामूहिक विचार और निर्णय का परिणाम होता है। उन्होंने कहा कि, “संघ जो भी करता है, वह सामूहिक रूप से विचार-विमर्श के बाद ही किया जाता है। यह केवल एक या दो लोगों का कार्य नहीं है।”
पहलगाम आतंकी हमले की निंदा, सेना की सराहना
भागवत ने अपने संबोधन में हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की भी तीखी निंदा की। उन्होंने कहा, “यह बर्बर हमला था। हमारे नागरिकों की हत्या की गई। पूरा देश दुखी और क्रोधित है। हमारी सेना ने जिस तरह से त्वरित कार्रवाई की और आतंकियों को जवाब दिया, वह प्रशंसनीय है। सेना की बहादुरी एक बार फिर सामने आई है।”
राजनीतिक एकता पर दिया ज़ोर
आरएसएस प्रमुख ने इस मौके पर राजनीतिक दलों की एकजुटता की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि, “हमने देखा कि इस हमले के बाद सभी राजनीतिक ताकतों ने एक स्वर में विरोध जताया। यह एक सकारात्मक संकेत है। यदि यह एकता स्थायी हो जाए और राजनीतिक मतभेदों के बावजूद कायम रहे, तो देश को बहुत राहत मिलेगी।”
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