Strategy: कोलकाता – पश्चिम बंगाल में 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों की सरगर्मी अभी से तेज़ होती दिख रही है। हाल ही में रामनवमी और हनुमान जयंती के मौके पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और विश्व हिंदू परिषद (VHP) की सक्रियता ने साफ संकेत दे दिया है कि आगामी चुनावों में हिंदुत्व एक बड़ा मुद्दा बनने वाला है। राज्य भर में निकाली गई हजारों धार्मिक शोभायात्राओं और रैलियों ने चुनावी माहौल को और भी गरमा दिया है। खास बात यह रही कि सत्ता में काबिज तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने भी एंटी-हिंदू छवि से बचने के लिए रामनवमी पर रैली निकालकर अपना स्टैंड स्पष्ट करने की कोशिश की।
बीजेपी की नजर 70% हिंदू आबादी पर
बंगाल की आबादी में करीब 70% हिंदू और 30% मुस्लिम हैं। पिछले चुनावों में मुस्लिम वोटरों की एकजुटता TMC के पक्ष में गई थी, जबकि हिंदू वोट बैंक में बंटवारा देखा गया। वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 50% हिंदू और 7% मुस्लिम वोट मिले थे, जबकि TMC को 39% हिंदू और 75% मुस्लिम वोट प्राप्त हुए थे। अब बीजेपी की रणनीति है कि 2026 के चुनाव से पहले हिंदू वोटरों को एकजुट किया जाए। इसी रणनीति के तहत रामनवमी से हनुमान जयंती (6 से 12 अप्रैल) तक धार्मिक रैलियों का आयोजन किया गया, जिसमें संघ और VHP की भी बड़ी भूमिका रही।
भागवत का बंगाल दौरा: रणनीति का खाका तैयार
फरवरी में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 10 दिनों का बंगाल दौरा किया। सूत्रों के अनुसार, इस दौरान उन्होंने भाजपा नेताओं के साथ चुनावी रणनीति पर चर्चा की और संघ कार्यकर्ताओं को हिंदू समाज को जोड़ने का संदेश दिया। भागवत ने वर्धमान में एक कार्यक्रम में कहा, “संघ हिंदू समाज को एकजुट करना चाहता है, क्योंकि देश का जिम्मेदार समाज हिंदू समाज है।” दौरे के बाद 1-2 मार्च को हावड़ा में संघ और भाजपा नेताओं के बीच बैठक हुई, जिसमें आगामी चुनाव की तैयारियों पर विचार-विमर्श किया गया।
वीएचपी का दावा: ‘2.5 करोड़ लोगों ने ली रैलियों में भागीदारी’
VHP के अनुसार, इस बार राज्यभर में 3000 से ज्यादा रामनवमी रैलियां निकाली गईं, जिनमें 2.5 करोड़ से अधिक लोगों ने भाग लिया। दक्षिण बंगाल के VHP सचिव चंद्रनाथ दास ने दावा किया कि, “राज्य सरकार, पुलिस और मुस्लिम समुदाय की धमकियों के बावजूद लोग बड़ी संख्या में रामराज्य की स्थापना के लिए सड़कों पर उतरे।”
‘हिंदू तुष्टीकरण’ बनाम ‘मुस्लिम तुष्टीकरण’
भाजपा के वरिष्ठ नेता दिलीप घोष ने कहा कि रामनवमी अब बंगाल में केवल धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक चेतना का प्रतीक बन चुकी है। “रामनवमी के जरिए लोगों को यह महसूस होने लगा है कि भाजपा उनके धर्म और संस्कृति के साथ खड़ी है, जबकि ममता बनर्जी मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति कर रही हैं,” घोष ने कहा।
TMC की स्थिति और चुनौती
TMC ने भी रामनवमी पर रैली निकालकर यह संकेत देने की कोशिश की कि वह किसी धर्म के विरोध में नहीं है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर TMC अपने हिंदू वोट बैंक को बचाने में असफल रही, तो भाजपा को निर्णायक बढ़त मिल सकती है।
संघ का बढ़ता प्रभाव
2023 में जहां बंगाल में संघ की 3,560 शाखाएं थीं, वहीं 2025 तक यह संख्या 4,540 तक पहुंच गई है। यह आंकड़ा बताता है कि संघ राज्य में अपनी जड़ें और गहरी करने में जुटा है।
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