सोशल मीडिया पर लोग निकाल रहे भड़ास
Troll: बैतूल। केंद्रीय सडक़ परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बैतूल-इटारसी मार्ग को लेकर सडक़ की क्वालिटी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी जिसके बाद उनका वीडियो वायरल हो गया और इसको लेकर लोगों ने सोशल मीडिया पर जमकर भड़ास निकाली। दरअसल नितिन गडकरी ने बैतूल से इटारसी रोड के घटिया निर्माण पर अधिकारियों को हफ्ता वसूली तक का आरोप लगाया था। देश के वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री और पिछले 11 वर्षों से सडक़ परिवहन विभाग संभाल रहे श्री गडकरी के इस वायरल वीडियो को लेकर लोग अब यह पूछ रहे हैं कि गडकरी जी यदि सच में आप इस रोड से रूबरू हो गए हैं तो कुंडी टोल प्लाजा बंद करवाकर रोड की मरम्मत शीघ्र करवाईए।
फेसबुक पर आ रहे ये कमेंट्स
जितेंद्र सिंग इवने- माननीय गडकरी जी आप सच में रूबरू हो ही चुके हैं तो कुंडी टोल प्लाजा भी बंद करवा दीजिए, बाकी तो बैतूल जिले के माननीयों से उम्मीद ही नहीं है।
जगदीश मालवी- बैतूल में पिछले 30 सालों में सबसे ज्यादा सांसद, विधायक बीजेपी से ही रहे हैं परंतु आज तक बैतूल में विकास के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ सिर्फ और सिर्फ गरीबों का शोषण हुआ और हो रहा हे। भ्रष्टाचार चरम पर है। न्याय के नाम पर धोखा ही मिला है। अधिकारी भी सिर्फ बड़े लोगों की सुनते हंै जैसा की माननीय गडकरी ने कहा।
डीडी पाटनकर- क्या गलत कहा है- एक साफ, स्वच्छ, कत्र्तव्यनिष्ठ , ईमानदार जननायक ने, धन्यवाद गडकरी जी।
सत्येंद्र नरवरे- बैतूल वालों पर सरकारी अधिकारी भारी… नेताजी की कोई नहीं सुनता।
जय गोपाल साहू- सब बुद्धिजीवी है। बैतूल जिले में रोज नए काण्ड होते हैं कि ठेकेदारों हफ्ता मिलता है। जब आपको पता है कि मिलता है तो फिर क्या कर रहे हैं आप। आप तो केंद्र में मंत्री है ना जिसकी लाठी उसकी भैंस।
अनूप भूमरकर- गडकरी ने कहा ना कि ठेकेदार से हफ्ता मिल रहा है क्या समझो अभी भी।
विपीन गावंडे- अवैध वसूली हो रही है टोल पर।
प्रमोद बेले– 30 सालों से ज्यादा बैतूल में बीजेपी का सांसद है फिर भी बैतूल जिला पिछड़ा है।
महेश सूर्यवंशी- सब गोलमाल है।
आदित्य वैद्य– देश को गडकरी जैसे नेताओं की आवश्यकता, हकीकत को बयां करने में पीछे नहीं रहते।
अमित मेहतो- मंत्री जी ने बहुत अच्छी बात कही है परंतु 10 वर्षों से क्या प्रशासन सो रहा था। सिर्फ बरेठा घाट की खराब नहीं है बल्कि बैतूल से लेकर इटारसी तक पूरा रोड बहुत घटिया क्वालिटी का बना रहे हैं। एक ठेकेदार के छोडऩे के बाद दूसरा टैंडर निकाला गया। और दोनों बार ही बरेठा और बागदेव टैंडर प्रक्रिया में जुड़े रहे। सरकार ने ग्रीन ट्रिब्यूनल की परमिशन पहले क्यों नहीं ली। क्या यह एक बड़ी तकनीकी और प्रशासनिक गलती नहीं है और एक हफ्ता निकल जाने के बाद भी अधिकारियों पर कार्यवाही क्यों नहंी हुई।
अजय डिगरसे- पैसा कमाने में लगे हैं नेता लोग।
राघवेंद्र दीक्षित- अधिकारियों से पूछना चाहिए कि ठेकेदार जो हफ्ता मिलता है उसमें से लोकल जनप्रतिनिधियों को कितना देते हैं, सब दूध का दूध और पानी का पानी पता चल जाएगा।
बंटी कुमार धोटे- नितिन गडकरी जी ने सही समझाया लेकिन अब यहां के स्थानीय नेताओं का जागना चाहिए। सारे विधायक और सांसद भाजपा के हैं।
सुभाष महाले- अब सारा एक्शन सांसद और प्रदेश अध्यक्ष महोदय लेंगे। आप चिंता ना करें।
मिथलेश रघुवंशी- रोड है नहीं पर टोल है। और कितने वर्ष लगेंगे?
महेश थोमबार- विकास चाहिए तो हर पांच साल बाद सरकार को बदलो तभी हर शहर का विकास होगा।
तुषार ठाकुर- स्ट्रांग लीडर चाहिए अब बैतूल को। बैतूल विकास के नाम पर शून्य है।
विक्की डहारे पंवार- बिना लेनदेन के कुछ होता है क्या? मालूम तो है सब।
यश पंडाग्रे- जनता भरोसा करके अपना मत देती है लेकिन ये नेता उनके भरोसे का गलत इस्तेमाल करते हैं और जनता को तकलीफ में डालते हैं।
दयाल यादव-टोल बंद कराओ तो माने मंत्री जी।
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