Basmati Variety – अगर आपके यहां पर पानी की काफी दिक्कत हो तो आप इन बासमती की वेरायटी के इन किस्मों की करें बुवाई, होगी अच्छी पैदावार किसान भाई चाहें तो पूसा बासमती 1718, पूसा बासमती 1121 और पूसा बासमती 1885 की भी खेती सही तरीके से करते है तो। इन किस्मों के ऊपर भी इन रोगों जैसे की झोंका और झुलसा रोग को कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा।
भारत मे अधिकतर लोग खेती पर आश्रित होते है | Basmati Variety
क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां पर 75 प्रतिशत से भी ज्यादा लोगों का जीवन खेती से ही चलती है। कोई पारंपरिक फसलों की खेती करता है, तो कोई बागवानी फसलों की। लेकिन, भारत में आजतक सबसे ज्यादा धान की ही खेती होती है। बिहार, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल के साथ-साथ लगभग अन्य सभी राज्यों में किसान धान की खेती करते हैं। और खास सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी राज्य में अलग-अलग किस्म के धानों की खेती भी की जाती है।
धान की बुवाई से सबसे ज्यादा पानी की समस्या से छुटकारा मिलता है
गांव कनेक्शन के अनुसार, जिन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा पानी की दिक्कत होती है, वहां के किसान धान की सीधी बुवाई कर सकते हैं। और इससे पानी की बहुत अधिक मात्रा में बचत के साथ धान की अच्छी खासी पैदावार भी होगी। अगर किसान पूसा बासमती 1692, पूसा बासमती 1509 और पूसा बासमती 1847 की खेती करते हैं, तो अच्छी कमाई कर सकते हैं।
धान की ये किस्में 120 से 125 दिन में पक कर तैयार हो जाती हैं | Basmati Variety
ये कम समय में तैयार होने वाली धान की किस्में हैं। ये किस्में 120 से 125 दिन में पक कर तैयार हो जाती हैं। खास बात यह है कि पूसा बासमती 1692, बासमती 1509 और पूसा बासमती 1847 रोग प्रतिरोधी है। इसके ऊपर झुलसा रोग का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है। ऐसे में किसानों को कीटनाशक दवाओं पर खर्च होने वाली रकम से राहत भी मिलेगी।
इन रोगों का प्रभाव नही पड़ता इन किस्मों पर
अगर किसान चाहें तो पूसा बासमती 1718, पूसा बासमती 1121 और पूसा बासमती 1885 की भी खेती कर सकते हैं। इन किस्मों के ऊपर भी झोंका और झुलसा रोग असर नहीं होता है। खास बात यह है कि बासमती की ये तीनों किस्में 145 दिन में ही पक कर तैयार हो जाती हैं।
बासमती की इन फसलों को पकने में बहुत समय लगता | Basmati Variety
हालांकि, किसान भाई पूसा बासमती 1886 की भी खेती कर सकते हैं। इसमें रोग प्रतिरोध क्षमता अधिक होती है। इसमें झोंका और झुलसा रोग नहीं लगता है। लेकिन पूसा बासमती 1886 पकने में बहुत समय लेता है। इसकी फसल को तैयार होने में कम से कम 160 दिन लग तक लग सकते हैं।
Source – Internet
                                                                                                                                
				            
				            
				            
				            
                            
                                        
                                        
				            
				            
				            
				            
			        
			        
			        
			        
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