Gupt Navratri Ashadh – इस बार आषाढ़ शुक्ल पक्ष में पड़नें वाली गुप्त नवरात्री कई सालों बाद ये पूरे 9 दिनों तक की पड़ने वाली है। और ये गुप्त नवरात्री 19 जून से प्रारंभ होने वाली है और इस दिन से सभी भक्त मां आदिशक्ति की आराधना में डूबेंगे लोग, पूरे नौ दिन की होगी आषाढ़ गुप्त नवरात्रि बहुत से युवा गुप्त नवरात्रि का नाम सुनकर चौंक जाते हैं |
कि भला ये नवरात्रि कैसे गुप्त हो सकती है | क्योंकि यह तो श्रद्धा और उल्लास से माता आदिशक्ति की पूजा-पाठ और सेलिब्रेशन का त्योहार है।
गुप्त नवरात्रि आषाढ़ में ही आती है। लेकिन यह सच है और यह एक नहीं साल में दो बार मनाई जाती है, यानी कि एक साल में दो बार गुप्त नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। और इस गुप्त नवरात्रि में तंत्र साधना का भी एक विशेष महत्व होता है।
एक साल में चार नवरात्रि आती है | Gupt Navratri Ashadh
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एक साल में चार बार आदिशक्ति की आराधना का पर्व मनाया जाता है, दो प्रकट और दो गुप्त। दो प्रकट नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि (अश्विन) और चैत्र नवरात्रि तो दो गुप्त नवरात्रि आषाढ़ गुप्त नवरात्रि और माघी गुप्त नवरात्रि के नाम से जानी जाती हैं।
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इस नवरात्रि में तंत्र साधना और सिद्धियां हासिल की जाती है
गुप्त नवरात्रि विशेष तौर पर तांत्रिक लोग ही ज्यादातर मनाते हैं, और ये इस समय विशेष रूप से आदिशक्ति की आराधना कर तंत्र सिद्धियां हासिल करने का प्रयास भी अवश्य ही करते हैं।
इसलिए इस नवरात्रि का अधिक जिक्र नहीं मिलता। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में आराधना गोपनीय तरीके से ही करनी चाहिए। हालांकि कुछ गृहस्थ भी इस नवरात्रि में विशेष तौर पर कलश की स्थापना करते है और माता की आराधना भी करते हैं।
कब से प्रारंभ हो रही है आषाढ़ गुप्त नवरात्रि |Gupt Navratri Ashadh
आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि 19 जून को पड़वा से प्रारंभ हो रही है, जो 27 जून भड़ली नवमी तक रहेगी। इन नौ दिनों में माता आदि शक्ति की पूजा-अर्चना के साथ जगन्नाथ रथयात्रा और विनायकी चतुर्थी पर्व भी मनाए जाएंगे।
नवरात्रि का समापन भड़ली नवमी पर होगा, यह दिन अबूझ मुहूर्त वाला माना गया है। और इस मुहूर्त पर विशेष धार्मिक अनुष्ठान के लिए शुभ योग भी रहेंगे।
साधकों के लिए विशेष महत्व रखती है ये गुप्त नवरात्रि
गुप्त नवरात्रि साधकों के लिए विशेष महत्व रखती है। इस गुप्त नवरात्रि में नवरात्रि में साधक गुप्त शक्तियों को प्राप्त करने की साधना मे लीन हो जाते है। खासतौर से 10 महाविद्याओं की सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
देवी भागवत के अनुसार जो भी साधक इस गुप्त नवरात्रि में कम से कम समय में 10 महाविद्याओं में से किसी भी एक महाविद्या की साधना सही तरीके से कर लेते है तो यह तय माना जाता है कि वह इस गुप्त नवरात्रि में अनुष्ठान करके अपनी सभी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं।
पूजा-पाठ और घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
1 – सुबह 5 बजकर 49 मिनट से 7 बजकर 31 मिनट तक अमृत बेला।
2 – सुबह 9 बजकर 14 मिनट से 10 बजकर 56मिनटे तक शुभ बेला ।
3 – दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से 01 बजकर 06 मिनट तक अभिजीत बेला।
गुप्त नवरात्रि पर इनकी उपासना करें | Gupt Navratri Ashadh
गुप्त नवरात्रि में नौ देवियों के साथ दस महाविद्याओं की भी विशेष तौर पर पूजा की जाती है। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार गुप्त नवरात्रि पर इस बार किसी भी तिथि का क्षय नहीं है, और ये नौ दिन के नवरात्रि रहेंगे। गुप्त नवरात्रि में नौ देवियों के साथ दस महाविद्याओं की भी विशेष पूजा-पाठ भी विशेष तौर पर की जाती है।
शुरू हुआ आषाढ़, और क्या है इसका धार्मिक महत्व
शहर के देवी मंदिरों के साथ ही लोग अपने-अपने घरों में भी देवी मां की पूजा-अर्चना करते है। और वहीं पर तंत्र-मंत्र की साधना को सीखने वाले साधकों के लिए ये गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व माना गया है। गुप्त नवरात्रि में नौ दिनों तक उपवास रखने का भी विशेष विधान बताया गया है।
इस नवरात्रि में माता की आराधना रात के समय की जाती है। और इन नौ दिनों के लिए कलश की स्थापना की जा सकती है। अगर आपने कलश की स्थापना की है तो दोनों समय मंत्र जाप, दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
Source – Internet
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