इस तरह साल में 12 संक्रांतियां होती हैं, उनमें से कुछ को त्योहार के रूप में बहुत अच्छे से मनाया जाता है। इस बार मकर संक्रांति का त्योहार 15 जनवरी को है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन स्नान, भोजन, हवन, जलपान, भोजन और दान, ये छह कर्म तिल के साथ किए जाते हैं। इस दिन दैनिक आवश्यकता की वस्तुएं, तिल, गुड़, गजक, बाजरे की दलिया, खिचड़ी, घी, वस्त्र, कंबल आदि का दान करना शुभ माना जाता है ।
एक मांगलिक कार्य की शुरुआत
कुछ लोग मकर संक्रांति का व्रत भी रखते हैं. मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। लोग नदियों और तालाबों में जाकर स्नान करते हैं। साथ ही खिचड़ी और तिल का भोग भी लगाएं। हर साल आने वाला मलमास इसी दिन समाप्त होता है। और फिर से लोग अपने परिवार में विवाह आदि मांगलिक कार्य करने लगते हैं।
Makar Sankranti 2024: इस बार मकर संक्रांति के अवसर पर करे दान , नष्ट होंगे सारे पाप जानिए पूरी जानकारी
कौन सी चीजें दान करनी चाहिए
मकर संक्रांति के दिन, वह सुबह-सुबह तिल के उबटन से स्नान करते हैं, आंगन में एक चौक बनाते हैं और उस पर आठ पंखुड़ियों वाले कमल की अल्पना बनाते हैं। इसमें सूर्य देव का आह्वान किया जाता है। सूर्योदय के समय तांबे के पात्र से सूर्य मंत्र का जाप करते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। फिर कच्ची दालें, चावल, तिल, गुड़, घी, सब्जियां, फल, तिल के लड्डू, रेवड़ी, ये सभी चीजें खिचड़ी के लिए दान की जाती हैं। चौदह कम्बल, ऊनी वस्त्र और नये पकवान भी दान किये जाते हैं। संक्रांति पर दान करने से पाप दूर होता है।
उत्तरायण और दक्षिणायन
जब सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। इसी दिन सूर्य देव उत्तरायण भी होते हैं। मकर संक्रांति के दौरान जब सूर्य उत्तरायण होता है और कर्क संक्रांति के दौरान जब सूर्य दक्षिणायन होता है, उत्तरायण काल में सूर्य देव उत्तर की ओर झुके रहते हैं और दक्षिणायन काल में सूर्य देव दक्षिण की ओर झुके रहते हैं। मकर संक्रांति पर स्नान और दान का बहुत महत्व माना जाता है
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