Snake Temple Of India – जिस सर्प को देवों के देव महादेव अपने गले का हार बनाकर पहनते हैं। और जिस पर स्वयं जग के स्वामी भगवान विष्णु शयन करते हैं, उस सर्प देवता की पूजा का हिन्दु सनातन परंपरा में क्या महत्व है, ये आप अनुभव भी नही कर पाएंगे तो आइए हम जानते है कि शेषनागों से जुड़े हुए इन पावन तीर्थोर् में श्रद्धापूर्वक और विधि -विधान के साथ पूजा पाठ करने से कैसे भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।
भगवान विष्णु शेषनाग पर ही शयन करते है | Snake Temple Of India
हिन्दु सनातन धर्म की परंपरा के अनुसार सभी देवी और देवताओं के साथ सर्प की पूजा का भी महत्व दिया गया है। हिंदू धर्म में सांप की पूजा का कितना अधिक धार्मिक महत्व है, इसे इस बात से भी जाना और समझा जा सकता है कि इसे भगवान शिव अपने गले में माला के रूप में हमेशा अपने गले में डाले रहते हैं |
और वहीं भगवान श्री विष्णु शेषनाग की शैय्या पर ही हमेशा विश्राम करते हैं। जबकि भगवान श्रीकृष्ण को कालिया नाग के फन पर नाचते हुए देखा गया था। हिंदू धर्म में सर्प की पूजा का न धार्मिक है बल्कि ज्योतिषीय महत्व भी माना गया है। तो आप सांप से जुड़े हुए इन तीर्थ स्थलों और वहां पर की जाने वाली विशेष पूजा अर्चना से प्राप्त शुभ फल के बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या है सर्प पूजा का विशेष महत्व
हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार जिस सांप के फन पर यह धरती टिकी हुई है, उसकी पूजा का करने बहुत ज्यादा विधान होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में कालसर्प दोष है तो उसकी परेशानियों का बड़ा कारण बन रहा हो उसे सांप से जुड़े हुए पावन तीर्थो पर जाकर पूरे विधि-विधान से इस दोष को दूर करने की पूजा करनी चाहिए। यदि उज्जैन के नागचंद्रेश्वर, प्रयाग के तक्षकेश्वर और नागवासुकी मंदिर में इस दोष से जुड़ी पूजा की जाए तो व्यक्ति के जीवन में कालसर्प दोष से संबंधित आ रही सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
ेेंइन सर्प मंदिरों में हजारों की संख्या में सर्प की मूर्तियां और चित्र हैं | Snake Temple Of India
इसी प्रकार केरल स्थित मन्नारशाला के सर्प मंदिर को भी सांपों का बड़ा तीर्थ माना जाता है, जहां पर हजारों की संख्या में सर्प की मूर्तियां और चित्र हैं। लोग इसे शेंषनाग मंदिर के नाम से भी जानते हैं। जहां पर दर्शन और पूजन करने पर संतान सुख की प्राप्ति होती है।
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हिंदू मान्यता में सर्प की पूजा का उपाय
हिंदू मान्यता के अनुसार किसी भी देवी या देवता की पूजा का पुण्य फल पाने के लिए उनके मंत्र का जाप करना बहुत ज्यादा फलदायी होता है। ऐसे में सर्प देवता की कृपा पाने के लिए और आपकी जन्म कुंडली अगर कालसर्प दोष हो तो उसे दूर करने के लिए इन सर्प तीर्थ पर जाकर सर्प सूक्त का पाठ करें या फिर सर्प गायत्री मंत्र ‘नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात’ का जप करना चाहिए।
धर्म में चांदी के नाग-नागिन की विधि-विधान से पूजा करता है | Snake Temple Of India
मान्यता है कि यदि सर्प तीर्थ पर जाकर कोई व्यक्ति चांदी के बने नाग-नागिन की विधि-विधान से पूजा करता है और उसके बाद उसे बहते हुए पवित्र जल में बहा देता है तो उसकी कुंडली में स्थित कालसर्प दोष दूर हो जाता है और उसे भविष्य में फिर इस दोष से जुड़े कष्ट होने की आशंका नहीं रहती है।
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