यहाँ जाने मधुमक्खी पालन की प्रक्रिया
Madhumakkhi Palan – देश में किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनसे किसानों को सीधे लाभ मिल रहा है। इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य देश के कुल उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ किसानों की आय में भी वृद्धि करना है। खेती के अलावा, सरकार द्वारा किसानों के लिए एक नई योजना मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है। मधुमक्खी पालन को बढ़ाने के लिए, सरकार किसानों को लोन प्रदान कर रही है ताकि किसानों का ध्यान इस ओर आकर्षित किया जा सके।
केंद्र सरकार आई आगे | Madhumakkhi Palan
मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के तहत 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। वास्तव में, मधुमक्खी पालन एक व्यवसाय है जिसे हर वर्ग के किसान और व्यवसायी आसानी से कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि किसानों के पास मधुमक्खी पालन से जुड़ी सभी जानकारी हो। तभी किसान सफल रूप से मधुमक्खी पालन कर सकते हैं। मधुमक्खियों के सही विकास के लिए जरूरी है कि मधुमक्खी के खान-पान का ध्यान रखा जाए। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि मधुमक्खी क्या-क्या खाती है? अगर नहीं, तो आइए जानते हैं। Also Read –Kheti kisani :सिर्फ ठंड में मिलती है लाल रंग की ये भाजी , होती है पौष्टिक जानिए इस भाजी का नाम
मधुमक्खियाँ अपने भोजन के लिए रस और पराग इकट्ठा करती हैं। वे खास फूलों का चयन करती हैं जो उन्हें खाने के लिए मिलते हैं। मधुमक्खी पालन के लिए विशेष फूल एक ही स्थान पर मिलना हमेशा संभव नहीं होता। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि जहां मधुमक्खी पालन किया जा रहा हो, वहां मधुमक्खियों के लिए फूलों या खाने की कोई कमी न हो। फूलों की कमी वाले स्थानों पर मधुमक्खियों को खाने की समस्या हो सकती है। इसी कारण से मधुमक्खियाँ अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग फूलों पर बैठती हैं और अपना पेट भरती हैं।
हर राज्य में इनका अलग भोजन
राजस्थान में मधुमक्खियाँ सरसों, कटेरी, सौंफ, धनिया, तिल आदि के रस से अपना पेट भरती हैं। हिमाचल प्रदेश में खैर, शीशम, सेव, अमरूद, रीठा, तून आदि की खेती अधिक होती है, जिससे मधुमक्खियों को उनका भोजन प्राप्त होता है। महाराष्ट्र में नीम, सेमल, नारियल, सूरजमुखी, लूसने, करंज आदि से मधुमक्खियाँ रस इकट्ठा करती हैं। उत्तर प्रदेश में सेमल, शीशम, कपास, लीची, सेव, आम का रस मधुमक्खियों का भोजन बनता है। हरियाणा में तोरिया, तारामीरा, अरहर, शीशम, कपास, करंज, बरसीम, बेर आदि मधुमक्खियों का प्रमुख भोजन होता है।
किस तरह से करें मधुमक्खी पालन | Madhumakkhi Palan
मधुमक्खियों की प्रजातियों की बात करें तो पृथ्वी पर 20 हजार से भी ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन इनमें से केवल 4 प्रकार की प्रजातियां ही शहद बनाती हैं। यदि आप छोटे स्तर पर मधुमक्खी पालन शुरू करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको इसके बारे में जानकारी हासिल करनी होगी। हालांकि, सरकार द्वारा इसके लिए निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद आप यह काम आसानी से शुरू कर सकते हैं।
मधुमक्खी पालन में तीन प्रकार की मधुमक्खियों की आवश्यकता होती है। पहले, रानी मधुमक्खी 24 घंटे में लगभग 800-1500 अंडे देती हैं। दूसरे प्रकार के श्रमिकों को माखी कहा जाता है, जो अंडों से निकले बच्चों को दूध पिलाने का काम करते हैं। मधुमक्खी पालन में एक बक्से में श्रमिक मधुमक्खियों की संख्या लगभग 25-30 हजार होनी चाहिए और तीसरा ड्रोन, यानी नर जो रानी मधुमक्खी को गर्भाधान करने का काम करता है। एक डिब्बे में इनकी संख्या 300-400 के आसपास होनी चाहिए। Also Read – Potato Farming – बिहार के किसान एरोपोनिक तकनीक से आलू की खेती करेंग
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