Water crisis: भोपाल: इस खबर से साफ है कि जल जीवन मिशन के तहत किए जा रहे कामों में पारदर्शिता और जवाबदेही की गंभीर कमी है। जनता की मूलभूत आवश्यकता जल आपूर्ति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर भी जनप्रतिनिधियों को शामिल नहीं किया जा रहा, जिससे जन सहभागिता की भावना को ठेस पहुंचती है।
मुख्य मुद्दे:
- जल संकट:
- बिसनखेड़ी गांव में लोग गड्ढे से मटमैला पानी निकालने को मजबूर हैं, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।
- जल जीवन मिशन का उद्देश्य हर घर में नल से जल पहुंचाना था, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति भिन्न है।
- जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा:
- विधानसभा में की गई घोषणाओं के बावजूद जनप्रतिनिधियों को बैठकों में नहीं बुलाया जा रहा है।
- इससे स्थानीय समस्याओं की सही रिपोर्टिंग और समाधान में बाधा आती है।
- भ्रष्टाचार के आरोप:
- विपक्ष द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं, खासकर पाइपलाइन बिछाने और जल आपूर्ति योजनाओं में।
- यदि जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति होती, तो शायद इन आरोपों की संभावना कम होती।
- प्रशासनिक उदासीनता:
- कलेक्टर और जिला अधिकारी बिना जनप्रतिनिधियों को बुलाए ही बैठकों में योजनाओं की समीक्षा कर रहे हैं।
- इससे प्रशासन पर मनमानी करने के आरोप भी लग सकते हैं।
समाधान के संभावित उपाय:
- जनप्रतिनिधियों की भागीदारी:
- हर बैठक में स्थानीय विधायक, सांसद और पंचायत प्रतिनिधियों को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए।
- जमीनी निरीक्षण:
- निगरानी समितियों का गठन हो, जो जल आपूर्ति परियोजनाओं का निरीक्षण करें और वास्तविक स्थिति की रिपोर्ट दें।
- पब्लिक फीडबैक:
- ग्रामीणों से सीधे फीडबैक लेकर योजनाओं की प्रगति को मापा जाए।
- सूचना का अधिकार (RTI):
- जल जीवन मिशन की सभी योजनाओं और खर्चों की जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराई जाए।
इस तरह के कदम उठाकर ही ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट को कम किया जा सकता है और सरकारी योजनाओं की जवाबदेही सुनिश्चित की जा सकती है। आपकी राय में इस समस्या का और क्या समाधान हो सकता है?
source internet… साभार…
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