क्राइम ब्रांच ने 6 आरोपियों को 5 लाख रु. सहित किया गिरफ्तार
Fake notes:इंदौर(ई-न्यूज)। शाहिद कपूर की फिल्म फर्जी से नकली नोट बनाने का आइडिया लेकर इंदौर की एक होटल में नोट बनाने का कार्य किया जा रहा था। होटल कर्मचारी को शक होने पर उसने मास्टर चॉबी से कमरा खोला तो उसके होश उड़ गए। कमरे में नकली नोट बनाने का पूरा साजोसामान के साथ नकली नोट भी मिले। कर्मचारी ने कमरे का वीडियो बनाकर क्राइम ब्रांच को सौंपा जिसके बाद इंदौर की क्राइम ब्रांच ने छापामार कार्यवाही कर इस मामले में 5 लाख रुपए के नकली नोट सहित आधा दर्जन आरोपियों को न्यायालय में पेश किया जहां से न्यायालय ने आरोपियों की रिमांड दे दी है। क्राइम ब्रांच की प्राथमिक पूछताछ में यह सामने आया है कि आरोपी जल्दी अमीर बनना चाहते थे इसलिए उन्होंने नकली नोट छापने का रास्ता चुना था।
होटल के कमरे में चला रहे थे फैक्ट्री

इंदौर के एक होटल के कमरे में पढ़े-लिखे बेरोजगार युवक नकली नोटों की फैक्ट्री चला रहे थे। खुलासा तब हुआ, जब होटल स्टाफ को शक हुआ और उसने मास्टर चाबी से रूम खोला। जो नजारा दिखा, वह चौंकाने वाला था। कमरे में प्रिंटर, लेमिनेटर, कम्प्यूटर और लाखों के नकली नोट बिखरे थे। सूचना मिलने पर क्राइम ब्रांच ने दबिश देकर पूरे रैकेट का भंडाफोड़ किया। छिंदवाड़ा का अब्दुल शोएब उर्फ छोटू (25) आर्ट एंड डिजाइन से ग्रेजुएट है। वह लंबे समय से बेरोजगार था। पिता पर बड़ा कर्ज था। उसने ऑनलाइन फर्जी करेंसी से जुड़े गु्रप्स खंगालना शुरू किए और यहीं उसकी पहचान द्वारका (गुजरात) के मयूर चम्पा (25) से हुई, जिसने फिल्म फर्जी देखने के बाद नकली नोट छापने का आइडिया सोचा था। मयूर ने शोएब को एक खास सॉफ्टवेयर मुहैया कराया, जो असली नोट की हूबहू कॉपी तैयार कर सकता था। इसमें वाटरमार्क, सीरियल नंबर और रंगों तक का मिलान था।
फेसबुक से बनाई थी गैंग
शोएब ने रहीश खान (32), प्रफुल्ल कोरी (19) जैसे साथियों को जोड़ा, जो या तो मामूली काम करते थे या बिल्कुल बेरोजगार थे। बाद में भोपाल के आकाश घारु (30) और मेडिकल स्टोर संचालक शंकर चौरसिया (42) भी इस रैकेट से जुड़ गए। सारा नेटवर्क फेसबुक के जरिए जुड़ा था। सॉफ्टवेयर, हाई क्वालिटी प्रिंटर, लेमिनेशन मशीन, बटर पेपर, कटिंग टूल्स और अन्य उपकरण खरीदे गए।
आरोपी जल्दी बनना चाहते थे अमीर
डीसीपी क्राइम ब्रांच राजेश कुमार त्रिपाठी ने बताया- 13 अप्रैल को सूचना मिली कि इंदौर के अनुराग नगर स्थित होटल इंटरनिटी में तीन युवक नकली नोट छाप रहे हैं। टीम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए होटल के रूम नंबर 301 में दबिश दी। यहां से अब्दुल शोएब, रहीश खान और प्रफुल्ल कुमार कोरी को गिरफ्तार किया। कमरे की तलाशी के दौरान उनके बैग से 500-500 रुपए के 100 नकली नोट और नोट छापने के उपकरण बरामद किए गए। पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया कि जल्दी अमीर बनने की नीयत से उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से होटल में छिपकर नकली नोट छापने का ठिकाना बनाया था। इन्हें अपने अन्य साथियों के माध्यम से बाजार में खपाने की योजना बना रखी थी। केस दर्ज कर तीनों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई।
भोपाल के युवक करते थे सप्लाई
आरोपियों ने बताया कि उनके दो साथी भोपाल में नकली नोटों की सप्लाई का काम कर रहे हैं। इसके बाद क्राइम ब्रांच की टीम भोपाल पहुंची। वहां से आकाश घारु और शंकर चौरसिया को 3 लाख 85 हजार रुपए के नकली नोटों के साथ गिरफ्तार किया। उन्होंने स्वीकार किया कि उनका संपर्क नोट छापने वाली छिंदवाड़ा गैंग से फेसबुक के माध्यम से हुआ था। छिंदवाड़ा की गैंग छपाई का काम करती थी जबकि भोपाल की गैंग नोट बाजार में खपाने की जिम्मेदारी संभालती थी। इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड अब्दुल शोएब है। क्राइम ब्रांच ने 15 अप्रैल को पूरे घटनाक्रम का खुलासा किया था और 17 अप्रैल को छठे आरोपी की गिरफ्तारी के साथ गिरोह की परतें पूरी तरह उजागर कर दी गईं।
द्वारका से दबोचा गया सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट
क्राइम ब्रांच ने नकली नोट छापने वाले गिरोह के छठे आरोपी मयूर चम्पा को द्वारका से गिरफ्तार किया। डीसीपी क्राइम ब्रांच राजेश त्रिपाठी ने बताया- मयूर चम्पा वह व्यक्ति था, जिसने इस गैंग के लिए सॉफ्टवेयर की व्यवस्था की थी। जिससे वे नकली नोट छापने का काम कर रहे थे। त्रिपाठी ने बताया कि मयूर को बॉलीवुड की फर्जी फिल्म देखने के बाद नकली नोट छापने का आइडिया आया था। जिसके बाद उसने विशेष सॉफ्टवेयर तैयार कराया। इस सॉफ्टवेयर की खासियत यह थी कि इसके जरिए असली नोट की साइज का नकली नोट बना सकते थे। उनके नंबर भी बदले जा सकते थे। यह सॉफ्टवेयर नोट में वाटर मार्क तक तैयार कर सकता था। सॉफ्टवेयर फोटोशॉप से संबंधित बताया जा रहा है और इसकी जांच अब भी जारी है।
मास्टर की ने खोला नोट फैक्ट्री का राज
डीसीपी क्राइम ब्रांच राजेश त्रिपाठी ने बताया- आरोपी होटल के दो कमरों में नकली नोट छाप रहे थे। होटल स्टाफ के एक मेंबर को शक हुआ। जब आरोपी कमरे में नहीं थे, उसने मास्टर की से रूम का ताला खोला। वीडियो बनाकर क्राइम ब्रांच को भेजा। जिस पर टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। डीसीपी त्रिपाठी ने बताया कि यदि क्राइम ब्रांच ने समय रहते कार्रवाई नहीं की होती, तो यह गैंग नकली नोटों को बड़े पैमाने पर बाजार में चला देता।
4.35 लाख के नकली नोट बरामद
आरोपियों के कब्जे से 4 लाख 35 हजार के नकली नोट (500 के 870), बटर पेपर, प्रिंटर, लकड़ी फ्रेम, कटिंग मशीन, लेमिनेशन बंडल, सील, लैपटॉप, मोबाइल्स, लेमिनेटर और एटीएम कार्ड जब्त किए गए हैं। डीसीपी क्राइम ब्रांच राजेश त्रिपाठी ने बताया- मयूर चम्पा ने नकली नोट बनाने का सॉफ्टवेयर बुलवाया और इसे छिंदवाड़ा के शोएब को दिया। शोएब ने नकली नोट छापने के लिए जरूरी उपकरणों की व्यवस्था की और इंदौर के एक होटल में काम शुरू कर दिया। इंदौर का चयन किसी विशेष कारण से नहीं किया गया। शोएब ने यहां रहते हुए आर्ट एंड डिजाइनिंग की पढ़ाई की थी, इसलिए उसने यहां काम करने की सोची। उसने यहां के एक लोकल होटल को ही चुना, जहां वह बिना पकड़े नकली नोट बनाने की योजना पर काम कर सके। त्रिपाठी ने बताया कि आरोपी फेसबुक पर चल रहे ऐसे कई गु्रप्स के जरिए एक-दूसरे से संपर्क में आए थे और बाद में इकट्टा होकर नकली नोट छापने का काम शुरू किया। उनका मानना था कि होटल में काम करने से वे पकड़े नहीं जाएंगे।
साभार…
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