Farming – भारत मौसम विज्ञान विभाग के पूर्वानुमान ने वैसे तो इस बार सामान्य बारिश होने की आशंका जताई है, और ऐसे में धान की खेती करने वाले किसानों के मन में ये भी सवाल आ सकते हैं कि वो कम पानी में धान की खेती कर सकते है? किसानों के ऐसे सवालों के जवाब देने के लिए इस हफ्ते धान की सीधी बुवाई की जानकारी दे रहे हैं। और वैसे तो धान की खेती में जब हम रोपाई के जरिए करते हैं तो उसमें पानी का ज्यादा उपयोग होता है, वैसे तो एक हेक्टेयर में धान की खेती करने पर लगभग 15 लाख लीटर पानी खर्च होता है। जबकि सीधी बुवाई में बहुत कम पानी में धान की खेती हो जाती है।
धान की खेती करें सूखाग्रस्त इलाके में होगी अच्छी पैदावार l Farming
वैसे तो बिहार के सुखाग्रस्त इलाके के लिए सुबौर कुंवर धान की किस्म एक अच्छा विकल्प साबित होती है। पर ये धान की एक ऐसी किस्म है, जिसकी फसल को बहुत ही कम पानी की आवश्यकता होती है। क्योंकि बिहार में सबसे अधिक रकबे में धान की खेती की जाती है। लेकिन यहां पर किसान अभी भी बारिश पर ही निर्भर हैं। और समय पर बारिश होती है तो धान की पैदावार भी अच्छी होती है।
अगर मौसम ने साथ नहीं दिया तो सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। ऐसे में धान की फसल पानी के अभाव में बर्बाद हो जाती है। लेकिन बारिश को लेकर किसानों को अब चिंता करने की जरूरत नहीं है। धान की एक ऐसी किस्म है, जिसकी खेती सूखे इलाके में भी की जा सकती है।
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यानी कि इस किस्म को पानी की बहुत कम जरूरत पड़ती है। अगर किसान भाई धान की इस खास किस्म की खेती करते हैं, तो उनकी फसल के ऊपर सूखे का असर नहीं होगा और अच्छी पैदावार होगी। तो आइए जानते हैं धान की उस बेहतरीन किस्म के बारे में जिसकी फार्मिंग करने पर किसानों को अच्छी उपज मिलेगी।
सिंचाई पर होने वाले खर्च से किसानों को राहत मिलेगी
क्योंकि इस तरह होगी पैसों की बचत कम पानी की आवश्यकता होती है। इसकी खेती सूखे इलाके में की जा सकती है। ऐसे में गया जिला, जहानाबाद जिला और पटना जिला के किसान सुबौर कुंवर धान की खेती कर सकते हैं।
सुबौर कुंवर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें सामान्य धान के मुकाबले खाद की 25 प्रतिशत कम आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में खाद के ऊपर होने वाले खर्चे से भी किसानों को राहत मिलेगी।
सुबौर कुंवर की फसल 110 से 115 दिन में तैयार हो जाती है l Farming
बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर ने सुबौर कुंवर धान को विकसित किया है। इसकी फसल 110 से 115 दिन में पक कर काटने लायक तैयार हो जाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस इलाके में पानी की किल्लत है या फिर बारिश कम होती है, वहां के किसान सुबौर कुंवर धान की खेती कर सकते हैं।
अगर इसकी उपज की बात करें तो एक हेक्टेयर में खेती करने पर औसतन 60 क्विटंल तक पैदावार मिल सकती है, जबकि इसकी अधिकतम पैदावार 87 क्विंटल है।
इन जिलों के किसान कर सकते हैं सुबौर कुंवर की खेती
सुबौर कुंवर के पौधों की लंबाई 100 से 105 सेंटीमीटर तक होती है। इसमें अंगमारी रोग, कंडुआ रोग, झोंका रोग और जीवाणु झुलसा रोग से लड़ने की क्षमता अधिक है। भोजपुर, औरंगाबाद, बक्सर, लखीसराय, रोहतास, गया, बेगूसराय, पटना, समस्तीपुर और भागलपुर के किसानों को इसकी खेती से ज्यादा फायदा होगा।
Source – Internet
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