Project: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में 6.4 किलोमीटर लंबी जेड मोड़ टनल का उद्घाटन किया। यह डबल लेन टनल श्रीनगर-लेह हाईवे (NH-1) पर स्थित है और श्रीनगर को सोनमर्ग से जोड़ती है। इस टनल के कारण अब बर्फबारी के मौसम में भी इस क्षेत्र में ऑल वेदर कनेक्टिविटी उपलब्ध होगी। टनल बनने से पहले, गगनगीर से सोनमर्ग के बीच का सफर 1 घंटे से अधिक समय लेता था, लेकिन अब यह दूरी मात्र 15 मिनट में तय की जा सकेगी। इसके अलावा, गाड़ियों की औसत गति 30 किमी/घंटा से बढ़कर 70 किमी/घंटा हो जाएगी।
सुरक्षा और सामरिक दृष्टिकोण से महत्व
यह टनल न केवल पर्यटन के लिए बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। लद्दाख तक सेना का सामान अब सड़क मार्ग से कम खर्च में और आसानी से पहुंच सकेगा। यह टनल चीन और पाकिस्तान बॉर्डर पर सेना की तैनाती और रसद आपूर्ति में भी सहायक होगी।
प्रोजेक्ट की लागत और निर्माण प्रक्रिया

- लागत: 2700 करोड़ रुपये।
- शुरुआत: 2012 में प्रोजेक्ट का काम शुरू हुआ।
- तकनीक: टनल को न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (NATM) से बनाया गया है, जो पहाड़ों के दरकने और एवलांच के खतरे को कम करता है।
- समुद्र तल की ऊंचाई: टनल समुद्र तल से 2600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
जोजिला टनल और भविष्य की योजनाएं
2028 तक जेड मोड़ टनल के आगे जोजिला टनल का काम पूरा हो जाएगा। दोनों टनल मिलकर 12 किलोमीटर लंबा मार्ग बनाएंगी, जो एशिया की सबसे लंबी टनल होगी। इससे बालटाल (अमरनाथ गुफा), कारगिल और लद्दाख को हर मौसम में संपर्क मिलेगा।
अटल टनल से तुलना
फिलहाल, हिमाचल प्रदेश में स्थित 9.2 किलोमीटर लंबी अटल टनल एशिया की सबसे लंबी टनल है, जो मनाली को लाहौल-स्पीति से जोड़ती है।
सुरक्षा चुनौतियां
2024 में आतंकियों ने टनल निर्माण कर्मियों पर हमला किया था, जिसमें 7 लोगों की मौत हुई थी। इसके बावजूद, यह प्रोजेक्ट समय पर पूरा कर लिया गया, जो देश की सुरक्षा और विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जेड मोड़ और जोजिला टनल के पूरा होने से न केवल स्थानीय लोगों को सुविधा मिलेगी बल्कि यह प्रोजेक्ट राष्ट्रीय सुरक्षा और सामरिक दृष्टिकोण से भी मील का पत्थर साबित होगा।
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