Friday , 26 July 2024
Home बैतूल आस पास Betul News – डिलिस्टिंग और अनु. 342 में धार्मिक प्रतिबंध है जरूरी- चौहान
बैतूल आस पास

Betul News – डिलिस्टिंग और अनु. 342 में धार्मिक प्रतिबंध है जरूरी- चौहान

सतपुड़ा ग्राऊंड घोड़ाडोंगरी में शुरू हुआ आयोजन  

बैतूल – Betul News – डी-लिस्टिंग  रैली का कार्यक्रम घोडाडोंगरी में आज  सतपुड़ा ग्राऊंड घोड़ाडोंगरी में आज प्रारंभ हुआ। इस आयोजन के लिए  जनजाति सुरक्षा मंच बैतूल के (जिला संयोजक) डॉ. महेन्द्रसिंह पिता काल्यासिंह चौहान एवं तहसील संयोजक अरविंद धुर्वे ने सभी जनजातीय समाज एवं सभी समाज के लोगों से उपस्थिति की अपील की थी। इस आयोजन में डॉ. महेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि भारतीय जनजातीय आदिवासी समाज में संवैधानिक अनुच्छेद 342 के अधीन मिलने वाले हक अधिकारों के प्रति अपनी जागरूकता की बड़ी कमी के चलते भारतीय संविधान के अनुच्छेद 342 के अधिन मिलने वाले सभी प्रकार के संवैधानिक अधिकारों से वंचित रहते आ रहा है। भोला-भाला आदिवासी समाज खास तौर पर जब मैंने देखा की धर्म परिवर्तन होने के बाद भी उन्हें मूल जनजाति को मिलने वाले अनुच्छेद 342 के लाभ भी उन्हें मिल रहे हैं। जबकि धर्म परिवर्तन के बाद वो अल्पसंख्यक जातीय के हो गए हैं। दोनों ओर से सरकारी लाभ प्राप्त करना एक प्रकार का गैरकानूनी अपराध भी है। मेरी यात्रा के दौरान मेरे देखने में आया है कि पुर्वोत्तर के राज्यों में बिना किसी मूल डाक्यूमेंट के अनुसार न के बराबर बचे जनजाति आदिवासी समाज वहां कोई अब बचा हुआ हैं। सभी के सभी जनजातियों का धर्म परिवर्तन हो चुका है फिर भी उन्हें मूल जनजाति को मिलने वाले लाभ उन्हें दियें जा रहे हैं। यह देखकर मैं सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ हूँ। उन्हें धर्म परिवर्तन के बाद भी राजनीतिक और आर्थिक लाभ मिल वो लोग ले रहे हैं। देश और राज्य की सरकार की आंख बंद कर तमाशा देख रहे हैं। आजादी के बाद से ही जो सरकार बनी और देश का संविधान निर्माण हुआ फिर कानून बनने के बाद जो सदियों पहले धर्म परिवर्तन कर चुके हैं। उन्हें आज भी आखिरकार मूल जनजाति के अधिकार कौन दे रहा है? और क्यों दे रहा है?

Also Read – Police Ground Track – रोशनी से सराबोर होगा पुलिस ग्राऊंड का वॉकिंग ट्रेक

किया गया है षड़यंत्र(Betul News)

डॉ. महेंद्र सिंह चौहान ने आगे कहा कि एक रिपोर्ट के अनुसार देखें कैसे किया गया षड्यंत्र है। नागालैंड, मेघालय, सिक्किम, मिजोरम और त्रिपुरा की विधान सभाओं की सीटों पर देश की आजादी के बाद से ही अवैधानिक तरीकों से धर्म परिवर्तन कर दोहरे लाभ ले रहे हैं। धर्मांतरित हुए लोगों ने संविधान के अनुसार राजनीतिक क्षेत्र में जनजाति आरक्षित वर्ग की सीटों पर मिलने वाले लाभ अधिकारों पर भी डाका डाल रखा हुआ है। ऐसे सभी क्षेत्रों में वहां मूल रूप से जनजाति समुदाय के लोगों को चुनावों में नहीं उतारा जाता है। उतारा भी जाता है तो धर्म परिवर्तन कर दोहरे लाभ ले रहे ऐसे लोगों को जनजाति समुदाय से धर्मांतरित हुए लोगों को अवैधानिक तरीकों से जनजाति समुदाय के नाम से मिलने वाले संवैधानिक दर्जो के नाम पर सबसे ज्यादा चुनावों में क्रिश्चियन धर्म परिवर्तन कर दोहरे लाभ ले रहे उन्हें चुनावों में उतारा जाता है।

वो दोहरे लाभ लेने वालों के विरूद्ध होनी चाहिए कार्यवाही(Betul News)

डॉ. चौहान ने कहा कि दोहरे लाभ लेने वालों पर सख्त कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इन राज्यों की सूची और स्थिति को देखा जा सकता है जिनमें से सिर्फ नागालैंड की 60 में से 59 विधानसभा सीट जनजाति समुदाय को दी गई है। भारत में सन 2011 की जनगणना के अनुसार इसाई धर्म परिवर्तन वाले सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्यों की सूची इस प्रकार हैं। केरल में सबसे बड़ी ईसाई आबादी 6.14 मिलियन जो राज्य की आबादी का कूल 18.4  प्रतिशत है।  नागालैंड में 87.9 प्रतिशत जनजाति समुदाय धर्म परिवर्तन हुए हैं। मिजोरम में 87.2 प्रतिशत जनजाति समुदाय धर्म परिवर्तन हुए हैं।  मेघालय में 74.6 प्रतिशत  जनजाति समुदाय धर्म परिवर्तन हुए है।  मणिपुर में 41.3 प्रतिशत है। अरुणाचल प्रदेश में 31 प्रतिशत जनजाति समुदाय का धर्म परिवर्तन हुआ है।  गोवा में जनजाति समुदाय के अलावा गैर जनजाति लोगों का भी धर्म परिवर्तन बड़ी संख्या में हुआ महत्वपूर्ण जनसंख्या का 25.1 प्रतिशत मेसे 11.1 प्रतिशत जनसंख्या गैर जनजाति समुदाय की है।  पांडिचेरी में कूल 10.8 प्रतिशत इसाई धर्म परिवर्तित हुए। जिनमें से 7.3 प्रतिशत जनजाति समुदाय धर्म परिवर्तन कर ईसाई धर्मावलंबी बन गये हैं।  तमिलनाडु में 6.2 प्रतिशत जनजाति समुदाय का धर्म परिवर्तित हुए है। भारत के सबसे ज्यादा बाहुल्य जनजाति राज्यों में सब से ज्यादा धर्म परिवर्तित नागालैंड, मिजोरम, मेघालय राज्यों का हुआ है। आजादी के बाद फिर भारत के संविधान की कौन सी संवैधानिक धाराओं के अंतर्गत चुनाव आयोग इन सभी धर्म परिवर्तित राज्यों में अनुपात के आधार पर जनजाति समुदाय को मिलने वाले चुनावी आरक्षित वर्ग के लाभ धर्म परिवर्तन कर चुके जनजाति लोगों को विधानसभा चुनावों में टिकट दिये जा रहे है।

Also Read – Betul News – मुलताई नपा के खिलाफ हुई शिकायतें निकली निराधार

काई भी दल नहीं करता है इस मुद्दे पर बहस(Betul News)

यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर बहस और चर्चा करने वाला मुद्दा बन सकता है जो स्पष्ट रूप से दिखाई भी दे रहा है। ऐसे मामलों में कोई राजनीतिक दल इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करना चाहता है। क्योंकि उन्हें तो सिर्फ चुनाव जीतना है। जनजाति समुदाय के नाम पर आरक्षित चुनाव प्रणाली के माध्यम से धर्मांतरित ईसाई लोग जो चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधियों के रूप में नियोजित षड्यंत्रों के तहत देश में अलगाववादी विचारधारा को पोषित करते हुए देश तोड़ने की साजिश अपने राजनीतिक प्रभावों के दम पर केंद्रीयस्तर पर वामपंथी दलों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वामपंथी विचारधारा के समर्थक जनप्रतिनिधियों के रूप में ऐसे दोहरे लाभ ले कर देश की आजादी के बाद से देश को इस प्रकार से तोड़ने की बहुत बड़ी साजिश हो रही है। यही देश तोड़ने की साजिश और गहरा षड्यंत्र वर्षों से चल रहा है। यह मेरी व्यक्तिगत रूप से जांच-पड़ताल के बाद ही मैंने इस गंभीर विषयों को आज सार्वजनिक रूप से आप सभी के समक्ष प्रस्तुत किया है यह बहुत ही गंभीर मामला है।

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Betul News : नाबालिग के दुष्कर्मी चाचा को 20 साल की सजा

न्यायालय ने आरोपी को 11 हजार का किया अर्थदण्ड Betul News –...

Kisan Yojana : किसानों को मिलेगा ऑनलाइन योजनाओं का लाभ

कृषि विभाग की अभिनव पहल Kisan Yojana – बैतूल – कलेक्टर एवं...

Vote Count – त्रि-स्तरीय अभेद्य सुरक्षा घेरे में होगी मतगणना : कलेक्टर

स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों को मतगणना प्रक्रिया से कराया अवगत, व्यवस्था से...

Betul News | ग्रामीणों ने पकड़ी गौवंश से भरी पिकअप

दो आरोपियों पर पुलिस ने किया केस दर्ज Betul News – मुलताई...