Nandi Puja Tips – शैव परंपरा के अनुसार देवों के देव कहलाने वाले भोलेनाथ के विशेष वाहन नंदी को भक्ति और शक्ति का प्रतीक भी माना गया है। शिव साधना करते समय आखिर नंंदी की पूजा का क्या महत्व होता है
हिंदू धर्म के अनुसार, किसी भी शिवालय में भगवान शिव के सामने ही उनकी सवारी नंदी की मूर्ति स्थापित होती ही है। भोले बाबा के दर्शन की तरह ही नंदी के दर्शन और पूजन को हिन्दू धर्म में बहुत ही जरूरी माना गया है।
क्योंकि सनातन परंपरा में भगवान भोलेनाथ से पहले नंदी महाराज की पूजा का विधान है। भोजलेनाथ ने नंदी को आशीर्वाद दिया था कि यदि कोई भक्त अपनी मनोकामना तुम्हारे कान में कहेगा तो वो प्रार्थना मुझ तक पहुंचेगी।
भगवान शिव के खास गणों में से एक है नंदी | Nandi Puja Tips
शिवजी के दरबार के सबसे प्रमुख सदस्य कहलाने वाले नंदी को उनका द्वारपाल भी माना जाता है, जिनकी इजाजत के बाद ही आपकी कामना-प्रार्थना भोलेनाथ तक पहुंचती है। भगवान शिव के खास गणों में से एक नंदी हैं।
जिनका एक स्वरूप महिष है। जिसे हम महिष को बैल भी कहते है। ऐसे में कई लोग जब मंदिर जाते हैं। लेकिन शिवजी के साथ उनकी पूजा भी करना जरूरी है। नहीं तो शिव जी की पूजा का पुण्य फल नहीं मिलता है।
शिव भक्त अखिर नंदी के कानों में अपनी मनोकामना बोलते है
शिव पूजा से पहले शिवभक्त अपनी कोई भी मनोकामनाओं को नंदी के कानों में कहने के पीछे एक कथा में वर्णित है कि। जिसके अनुसार भगवान शिव ने एक बार नंदी से कहा था कि जब कभी भी वे ध्यान मुद्रा में रहें तब वे उनके भक्तों की कामना को सुनें।
महादेव ने कहा कि कोई भी भक्त उनके पास आकर कहने के बजाय वे तुम्हारे कान में कहेगा। तो शिवजी ने कहा कि इसके बाद जब मैं ध्यान से बाहर आउंगा तब तुम्हारे माध्यम से मुझे भक्तों की मनोकामना मालूम हो जाएगी।
और हिन्दू धर्म की मान्यता है कि उसके बाद से जब कभी भी भोले बाबा तपस्या या ध्यान मुद्रा में लीन होते हैं तो न सिर्फ उनके भक्त बल्कि माता पार्वती भी अपनी बातों को नंदी के कान में कहती थीं।
राम की कृपा पाने के लिए हनुमान जी की विशेष पूजा लाभदायक होती | Nandi Puja Tips
हिंदू मान्यता के अनुसार जिस तरह भगवान श्री राम की कृपा पाने के लिए उनके सेवक माने जाने वाले हनुमान जी की पूजा फलदायी होती है, कुछ वैसे ही देवों के देव महादेव की कृपा पाने के लिए सबसे पहले नंदी की पूजा का विधान है। ऐसे में शिव की शीघ्र कृपा पाने के लिए शिव साधकों को शिवालय में प्रवेश करने से पहले नंदी के कानों में अपनी मनोकामना जरूर कहनी चाहिए।
महादेव जी के सबसे बड़े भक्त माने जाते है नंदी
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब असुरों और देवताओं ने समुद्र मंथन किया और उसमें से हलाहल विष निकला तो सृष्टि को बचाने के लिए उसे शंकर जी ने पी लिया था। शंकर जी के उस विष को पीते समय उस विष की कुछ बूंदे पृथ्वी पर गिर गई, लेकिन नंदी ने तुरंत ही उसे अपनी जीभ से साफ कर दिया था। और यह भी मान्यता है कि जब भी भोले बाबा ने नंदी के इस समर्पण भाव को देखा तो वे उनसे बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें सबसे बड़े शिवभक्त की उपाधि दी थी।
Source – Internet
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