Pulses Rate – वैसे तो पड़ोसी राज्यों में दालों की कीमत में कुछ मामूली सी कमी की गई है। लेकिन इसके बावजूद भी हमारे पड़ोसी राज्य जैसे की हरियाणा और राजस्थान में एक किलो तूअर दाल की कमत 111 रुपये है। तो वहीं पर दिल्ली में तूअर दाल 149 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से वहां के बाजारों में बिक रही है।
इसी कारण से दालों की जमाखोरी को लेकर केंद्र सरकार एक बार फिर से सख्त हो गई है। केंद्र ने राज्य की सरकारों को दालों की जमाखोरी के खिलाफ एक विशेष अभियान चलाकर कार्रवाई करने के भी निर्देश जारी कर दिए हैं।
क्योंकि केन्द्र सरकार को ऐसी एक सूचना मिली है कि दिल्ली और तमिलनाडु में व्यापारी दालों का स्टॉक और तय लिमिट से भी काफी ज्यादा कर रहे हैं। इससे बाजारों में दालों की आवक को भारी नुकसान भी पहुंचा है। और ऐसे में आपूर्तिक प्रभावित होने से कीमतों पर भी भारी असर देखने को भी मिल है और दालों की कीमतो में भारी इजाफा भी हो रहा है।
फुटकर व्यापारियों ने बाजारों में दालों की कीमते बढ़ाई है l Pulses Rate
यह भी कहा जा रहा है दिल्ली में थोक के व्यापारियों ने तय लिमिट से ज्यादा दालों का स्टॉक कर लिया है। और इससे दिल्ली के फुटकर व्यापारियों ने वहां के बाजारों में दालें बहुत महंगी कर दी है। जबकि उसके पड़ोसी राज्यों में दालों की कीमत में कुछ कमी भी की गई है।
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अभी हरियाणा और राजस्थान में एक किलो तूअर दाल की कमत लगभग 111 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रही है और वहीं पर दिल्ली में तूअर की दाल 149 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रही है। यानी कि महज कुछ ही किलोमीटर के बाद एक किलो तूअर दाल की कीमत में 38 रुपये का अंतर आ गया है।
केन्द्र सरकार ने चना दाल के उपभोग को बढ़ाने के भी निर्देश दिए
यही मुख्य कारण है कि केंद्र सरकार ने दिल्ली और तमिलनाडु के अधिकारियों को जमाखोरी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने के निर्देश जारी कर दिए हैं, ताकि लोगों को महंगाई से राहत मिल सके। और खास बात यह है कि केंद्र सरकार ने चना दाल के परभोग को भी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में बाजारों में चने की आवक बढ़ने का अनुमान लगया जा सकती है।
केंन्द्र सरकार ने जमाखोरी को रोकने के लिए एक कमेटी बनाई | Pulses Rate
आपको बता दें कि बीते मार्च माह में केंद्र सरकार ने दालों की जमाखोरी रोकने के लिए एक कमेटी बनाई थी। यह कमेटी की टीम देश के सभी राज्यों में दालों की भंडारन की लिमिट की निगरानी भी कर रही है। और केंद्र सरकार का यह भी मानना है कि विदेशों से दाल का निर्यात प्रर्याप्त मात्रा में किया गया है। और इसके बाद भी दालों की कीमतें बढ़ती ही जा रही हैं। ऐसे में सरकार को दालों की जमाखोरी को लेकर संदेह हुआ है। इसके बाद केन्द्र सरकार ने जमाखोरी को रोकने के लिए कमेटी बना दी।
दालों की भंडारन की क्षमता अक्टूबर तक रहेगी
वहीं, बीते कुछ महीने में केंद्र की मोदी सरकार ने अरहर और उड़द दाल की भंडारन की क्षमात को निर्धारित कर दी। सरकार ने फुटकर व्यापारियों के लिए उड़द और तूअर दाल के भंडारन की क्षमता लगभग 200 टन निर्धारित कर दी। जबकि, खुदरा व्यापारियों के लिए यह आंकड़ा 5 टन है। दालों के भंडारन की क्षमता केवल अक्टूबर तक ही रहने की संभावना है।
Source – Internet
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