Angarki chaturthi – मंगलवार 23 मई को अंगारक योग होने के कारण करे गणेश जी के साथ-साथ हनुमान जी और मंगल ग्रह की पूजा का जिससे आपके सभी शुभ कार्यो में बांधाए नहीं आएगी और इसके साथ ही इस विशेष अंगारक योग के दिन शिवलिंग पर चढ़ाएं लाल फूल मंगलवार 23 मई को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की विनायकी चतुर्थी है।
मंगलवार को चतुर्थी होने से इसे अंगारक चतुर्थी कहते हैं। इस तिथि पर गणेश जी के लिए व्रत किया जाता है। इस बार मंगलवार को ये अंगारक योग होने से इस दिन हनुमान जी और मंगल ग्रह की पूजा का शुभ योग बना है।
चतुर्थी पर गणेश जी के लिए व्रत – उपवास और पूजा और पाठ करने से घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है। मंगलवार का कारक ग्रह मंगल है। इस वजह से अंगारक चतुर्थी पर मंगल की भी पूजा करें।
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शिवलिंग के रूप में होती है मंगल देव की पूजा | Angarki chaturthi
मंगल देव को ग्रहों का सेनापति माना जाता है। ये ग्रह मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है। अंगारक चतुर्थी पर सबसे पहले गणेश पूजन करें। मंगल ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है।
इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, लाल गुलाल, लाल फूल चढ़ाएं। इस शुभ योग में मंगल की भात पूजा भी कर सकते हैं। इस पूजा में शिवलिंग का पके हुए चावल से श्रृंगार किया जाता है और फिर पूजा की जाती है। पूजा करते समय ऊँ अं अंगारकाय नम: मंत्र का जप करते रहना चाहिए।
हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें। मंगलवार को ही हनुमान जी का जन्म हुआ था, इस कारण हर मंगलवार श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी की पूजा करने की परंपरा है। पूजा में ऊँ रामदूताय नम: मंत्र का जप कर सकते हैं।
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अंगारक चतुर्थी पर ऐसे कर सकते हैं व्रत | Angarki chaturthi
मंगलवार को सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान के सामने पूजा और व्रत करने का संकल्प लें। श्री गणेश को सिंदूर चढ़ाएं। गणेश मंत्र ऊँ गं गणपतयै नम: जप करते हुए दूर्वा दल चढ़ाएं। फूलों से श्रृंगार करें।
लड्ड़ओं का भोग लगाएं। गणेश जी के मंत्र का जप करें या अथर्वशीर्ष का पाठ करें। पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं। व्रत कर रहे हैं तो पूरे दिन अन्न का सेवन न करें। फलाहार या दूध ले सकते हैं। शाम को चंद्र उदय के बाद श्री गणेश जी पूजा करें, चंद्र पूजा करें। इसके बाद भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
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