Tea Garden – बिहार में स्थित किशनगंज जिले में किसान अपनी पारंपरिक खेती के अलावा भी सबसे ज्यादा चाय की खेती करने में रूची ले रहे है हैं। क्योंकि यहां पर किसान बहोत सालों से चाय का उत्पादन ही कर रहे हैं। यही कारण है कि किशनगंज जिले को बिहार में मिनी दार्जिलिंग के नाम से पहचाने जाने लगा है। बिहार में चाय की खेती करने वाले किसानों के लिए ये बेहद ही खुशी की खबर है कि। चाय की खेती के मामले में बिहार देश का पांचवा सबसे बड़ा राज्य बन गया है।
बिहार में पर्याप्त प्रोसेसिंग यूनिट नही है | Tea Garden
लेकिन, अभी तक प्रदेश में प्रर्याप्त मात्रा में प्रोसेसिंग यूनिट नहीं है। ऐसे में 70 प्रतिशत से भी ज्यादा चाय की हरी पत्तियों को प्रक्रिया करने के लिए पश्चिम बंगाल भेजा जाता है। हालांकि, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि बिहार में उत्पादित चाय बिहार में इसकी पूरी प्रक्रिया हो। तो इससे किसानों को ज्यादा लाभ भी होगा और साथ ही बिहार की ब्रांडिंग भी होगी।
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इसी कारण से किशनगंज को मिनी दार्जिलिंग के नाम से पहचाना जाता है
यूपी के किशनगंज जिले में किसान अपनी पारंपरिक खेती के अलावा सबसे ज्यादा चाय की खेती करने में भी सबसे ज्यादा रूचि ले रहे हैं। और यहां पर भी किसान वर्ष 1992 से चाय का उत्पादन बड़ी मात्रा में कर रहे हैं। इसी वजह से किशनगंज जिले को बिहार में मिनी दार्जिलिंग के नाम से पहचाना भी जाता है।
इसके अलावा कटिहार, अररिया और पूर्णिया जिले में भी किसान ज्यादातर चाय की खेती करने लगे हैं। इन आंकड़ों के अनुसार, यूपी में लगभग 14 से 15 हजार एकड़ में चाय की खेती की जाती है |
जिससे हर वर्ष लगभग 90 हजार टन चाय का उत्पादन भी होता है। कयोंकि यहां पर अमेरिका और चीन के अलावा अन्य 12 देशों में भी चाय का निर्यात किया जाता है।
यूपी सरकार उत्पादन का 12 प्रतिशत ही चाय की हरी पत्तियों की प्रक्रिया को पूरा कर पाता है | Tea Garden
चाय को प्रोसेस करने के लिए इस राज्य में भेजा जाता है खास बात यह है कि प्रोसेसिंग यूनिट नहीं होने के चलते बिहार अपने उत्पादन का महज 12 प्रतिशत तक ही चाय की हरी पत्तियों की प्रक्रिया को ही पूरा कर पाता है।
ऐसे में यहां के किसान 79 हजार टन चाय की प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए हर वर्ष पश्चिम बंगाल भेजे जाते हैं, जिससे कि उन्हें उतना लाभ नहीं मिल पाता है। जिससे की किसानों का यह भी कहना है कि अगर बिहार में सरकार प्रोसेसिंग यूनिट लगा देती है, तो बिहार के किसाना और अधिक रकबे में चाय की खेती बड़ी मात्रा में कर सकेंगे।
यूपी सरकार चाय की खेती के लिए 50 प्रतिशत तक अनुदान दे रही है
ऐसे मे भी बिहार सरकार अभी बड़ी मात्रा में चाय की खेती करने वाले किसानों को अनुदान दे रही है। विशेष उद्यानिक फसल योजना के तहत बिहार सरकार किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया जिले के किसानों को चाय की खेती करने के लिए 50 प्रतिशत तक अनुदान दे रही है।
इसके लिए बिहार सरकार ने प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इकाई की लागत लगभग 494000 रुपये तक ही निर्धारित की है। प्रदेश में चाय का क्षेत्रफल को और अधिक बढ़ाने के लिए बिहार सरकार द्वारा यह अनुदान दिया जा रहा है। वहीं, किशनगंज में स्टेट ऑफ एक्सीलेंस की तर्ज के तहत अनुसंधान सेंटर की भी स्थापना कि जाएगी।
Source – Internet
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